Wednesday 4 October 2017

दिल की महफ़िल

*वो शमा की महफ़िल ही क्या,जिसमे दिल खाक ना हो.....!**मज़ा तो तब है,चाहत का जब दिल तो जले,पर राख ना हो....!!*❤ 


















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